हिंदू धर्म के अनुसार खाटू श्याम जी कलियुग में कृष्ण के अवतार में पूजे जाते हैं, जिन्हें श्री कृष्ण से वरदान मिला था कि कलियुग में उनका नाम श्याम से पूजा जाएगा।
असल में, माना जाता है कि श्री कृष्ण बर्बरीक के बलिदान से काफी खुश थे और उन्हें वरदान मिला था कि कलियुग के आने पर तुम श्याम के नाम से पूजे जाएंगे।
जो भक्त तुम्हारे दरबार में आकर सच्चे दिल से पूजा करेगा, उसका तुम उद्धार करोगे। अगर आप सच्चे मन से और प्रेम-भाव से पूजा करेंगे, तो आपकी मनोकामना पूरी होगी।
भगवान श्री कृष्ण और बर्बरीक एक पीपल के पेड़ के नीचे खड़े थे। श्री कृष्ण ने उन्हें चुनौती दी कि उन्हें एक बाण से पेड़ के सभी बरसाने हैं। बाण से सभी पत्ते नीचे आ गए और श्री के आसपास चक्कर लगाने लगे।
ब्राह्मणरूपी श्री कृष्ण ने बर्बरीक से दान की इच्छा व्यक्त की, बर्बरीक के हां कहने पर जब कृष्ण जी ने उनसे शीश मांगा तो बर्बरीक घबरा गए।
वीर बर्बरीक बोले एक साधारण ब्राह्मण इस तरह इस तरह दान नहीं मांग सकता, वे श्री से अपना वास्तिवक रूप से अवगत कराने की प्रार्थना करने लगे।
ब्राह्मणरूपी श्री कृष्ण अपने असल रूप में आने के बाद उन्हें बर्बरीक को शीश दान मांगने का कारण समझाने लगे कि युद्ध आरम्भ होने से पहले सर्वश्रेष्ठ क्षत्रिय के शीश की आहुति देनी पड़ती है।
बर्बरीक ने जब उनसे आखिर तक महाभारत युद्ध देखने की बात कही, तो कृष्ण मान गए। उनके शेष को युद्धभूमि के पास एक पहाड़ी पर स्थापित कर दिया, जहां से वे सारे युद्ध को देख सकें।
श्री कृष्ण जी बर्बरक के इस बलिदान से इतने खुश हुए कि उन्होंने उनसे कहा कि कलियुग में तुम श्याम नाम से जाने जाओगे।